आजकल हाई ब्लड प्रेशर सामान्य हो चुका है। देखा जाए तो हर दूसरे व्यक्ति को हाई बीपी का जोखिम हो सकता है। ऐसे में सवाल यह है कि हाई ब्लड प्रेशर होने पर क्या करें? जैसे ही किसी को पता चलता है कि उसे हाई बीपी की समस्या है, तो उनके मन में सबसे पहले यही बात आती है कि बीपी कंट्रोल कैसे करें। तो हमारे इस खास लेख में हम न सिर्फ बीपी कंट्रोल करने के तरीके बताएंगे, बल्कि बीपी हाई हो तो क्या करें, इसकी जानकारी भी देंगे।
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ब्लड प्रेशर आपकी धमनी की दीवारों (artery walls) पर रक्त द्वारा लगाया जाने वाला बल है। यह आपके हृदय द्वारा पंप किए गए रक्त की मात्रा और आपकी धमनियों में रेजिस्टेंस द्वारा निर्धारित किया जाता है।
आपके ब्लड प्रेशर रीडिंग में 2 नंबर होते हैं, सिस्टोलिक और डायस्टोलिक। आमतौर पर सिस्टोलिक नंबर डायस्टोलिक नंबर से पहले या ऊपर आता है। उदाहरण के लिए, 120/80 जिसका अर्थ है 120 सिस्टोलिक और 80 डायस्टोलिक।
अब सवाल यह है कि बीपी हाई हो तो क्या करे? बता दें कि आप नियमित रूप से अपने घर बैठे ब्लड प्रेशर मॉनिटर करके शुरुआती अवस्था में बीपी में होने वाले किसी भी बदलाव का पता लगा सकते हैं। इसे घर में या डॉक्टर के क्लिनिक में जा कर चेक करा सकते हैं। फिर अपने ब्लड प्रेशर रीडिंग के अनुसार, आप अपनी जीवनशैली में परिवर्तन करके और अपने डॉक्टर से सलाह लेकर इसे कंट्रोल कर सकते हैं।
बता दें दवाइयां ट्रीटमेंट प्लान का एक हिस्सा होती हैं, लेकिन अध्ययनों ने साबित किया है कि जीवनशैली को सुधारने से अन्य उपचारों के साथ-साथ ब्लड प्रेशर को कम किया जा सकता है। जीवनशैली में बदलाव को समझने के लिए आगे पढ़ें जो आपके ब्लड प्रेशर को कम करने में आपकी मदद करेंगे।
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जब आपका ब्लड प्रेशर लगातार नॉर्मल रेंज से ऊपर रहता है, तो इसे हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन माना जाता है। यह एक साइलेंट कंडीशन होती है, जिसमें आमतौर पर तब तक कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है जब तक कि ब्लड प्रेशर बहुत अधिक न हो जाए। हालांकि, नियमित जांच के द्वारा इस स्थिति का आसानी से पता लगाया जा सकता है।
प्रारंभिक अवस्था में हाई ब्लड प्रेशर का पता लगाना और उसको मैनेज करना जरूरी है। अनियंत्रित हाई ब्लड प्रेशर आपकी रक्त वाहिकाओं की दीवारों को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे हार्ट फेल, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी की बीमारी और दृष्टि संबंधी समस्याओं की जटिलताएं हो सकती हैं। शुरुआत में ही इसका पता लगाने से और इसे मैनेज करने से इन जटिलताओं से बचा जा सकता है।
अगर आप जानना चाहते हैं कि बीपी कंट्रोल कैसे करे, तो जीवनशैली में किये गए छोटे-छोटे बदलाव बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं। लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके आप अपना ब्लड प्रेशर कंट्रोल कर सकते हैं। ये कुछ इस प्रकार हैं:
गतिहीन जीवनशैली से बचें और अपनी एक्टिविटीज़ को बढ़ाएं। अपनी दिनचर्या में 30 मिनट मध्यम-तीव्रता वाले व्यायामों को शामिल करने का प्रयास करें। नियमित रूप से की जाने वाली शारीरिक एक्टिविटी हाई ब्लड प्रेशर से बचाव और मैनेज करने में मदद कर सकती है। व्यायाम के अलावा, आप योग, एरोबिक्स या डांसिंग जैसे हॉबीज को भी अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं।
अधिक वजन होने से हाई ब्लड प्रेशर होने का जोखिम बढ़ सकता है। यदि आप ओवरवेट हैं, तो आपके वजन में एक छोटा सा बदलाव भी आपके ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकता है। इसलिए बेहतर यही अपने वजन को संतुलित रखने की कोशिश करें।
अधिक नमक का सेवन आपके ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है। अतः अपने ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए नमक का सेवन सीमित करना जरूरी है। खाने वाली चीजें खरीदते समय कम सोडियम वाले विकल्प चुनें। आप अपनी डाइट में अधिक फल व सब्जियां शामिल कर सकते हैं और तले व प्रोसेस्ड फ़ूड से बचें।
बता दें, तले व प्रोसेस्ड फ़ूड में आमतौर पर सोडियम की मात्रा अधिक होती है। कम सोडियम या लो बीपी डाइट फॉलो करने से आप अपने ब्लड प्रेशर को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं।
बैलेंस डाइट आपके संपूर्ण स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हाई ब्लड प्रेशर को मैनेज करने के लिए, आप ऐसी डाइट चुन सकते हैं, जो फलों, सब्जियों, साबुत अनाज से भरपूर हो और जिसमें शुगर सैचुरेटेड फैट और रिफाइन कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम या न के बराबर हो। फ़ूड डायरी रखने से अपनी डाइट को मॉनिटर करने और अपने खाने की आदतों को मैनेज करने में आपको मदद मिलेगी।
पोटैशियम शरीर में सोडियम के लेवल को रेगुलेट करने में मदद करता है और इस तरह यह आपके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में भी मदद कर सकता है। हरी पत्तेदार सब्जियां, आलू, टमाटर, संतरे, एवोकाडो और केले जैसे फल, दूध और दही जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स, नट्स, सीड्स और मछली, जैसे ट्यूना आदि खाद्य पदार्थों में पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है।
याद रखें ब्लड प्रेशर के मरीज जितना पोटैशियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करेंगे, उतना ही यूरिन के जरिये सोडियम को शरीर से निकालेंगे।
नियमित रूप से अधिक शराब पीने से आपके ब्लड प्रेशर में काफी वृद्धि हो सकती है। हाई बीपी वाले व्यक्तियों को सलाह दी जाती है कि उन्हें शराब पीना छोड़ देना चाहिए। बता दें शराब बीपी के साथ-साथ कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम भी बढ़ा सकता है।
क्रोनिक स्ट्रेस ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है। ऐसे में खुद को स्ट्रेस फ्री रखने के लिए उन एक्टिविटीज़ पर ध्यान केंद्रित करें जिन्हें करने में आपको मज़ा आता है। योग या मेडिटेशन जैसी आराम देने वाली तकनीकों को अपनाकर भी तनाव को मैनेज करने का प्रयास करें। इसके अलावा, अपने दोस्तों व परिवारजनों के साथ बैठें, बातें करें, बाहर जाएं और थोड़ा वक्त बिताएं।
धूम्रपान आपके ब्लड प्रेशर को अस्थायी रूप से बढ़ा देता है, जो कुछ समय में सामान्य हो जाता है। लगातार धूम्रपान ब्लड वेसल्स की दीवारों को नुकसान पहुंचाकर हाई ब्लड प्रेशर होने के जोखिम को बढ़ा सकता है। धूम्रपान छोड़ना न सिर्फ आपके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करेगा, बल्कि आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद रहेगा।
नियमित रूप से ब्लड प्रेशर मॉनिटर करने से उसको नियंत्रित रखने में आपको मदद मिलेगी। अपने डॉक्टर से नियमित परामर्श लेना बहुत जरूरी है। बेहतर है आप अपने घर में ब्लड प्रेशर को मॉनिटर करने के लिए ब्लड प्रेशर मशीन रखें। इसके साथ ही अपने डॉक्टर द्वारा बताए इंस्ट्रक्शंस को फॉलो भी करें।
यदि आप पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर का इलाज करा रहे हैं, तो आपके डॉक्टर द्वारा प्रिसक्राइब की गई दवाइयों को नियमित रूप से लें। ध्यान रहे आप अपनी दवाइयां सही टाइम पर लें और बिलकुल भी मिस न करें।
अगर आप सोच रहे हैं कि हाई ब्लड प्रेशर को तुरंत कंट्रोल कैसे करे, तो हम यह स्पष्ट कर दें कि बीपी को तुरंत कंट्रोल नहीं कर सकते हैं। हालांकि, हाई बीपी के दौरान कुछ सावधानियां जरूर बरत सकते हैं। ये सावधानियां कुछ इस प्रकार हैं:
उम्मीद है अब आपको जानकारी हो गई है कि हाई ब्लड प्रेशर होने पर क्या करें। अपनी जीवनशैली में उचित परिवर्तन करके और ऊपर दिए गए आसान से उपाय अपनाकर आप अपने ब्लड शुगर लेवल्स को नियंत्रित रख सकते हैं। तो अब अगर कोई पूछे कि बीपी कंट्रोल कैसे करे, तो यहां बताए गए उपायों के बारे में जरूर बताएं।
प्रेगनेंसी में ब्लड प्रेशर कितना होना चाहिए, यह गर्भवती महिलाओं के लिए जानना जरूरी है। इससे वे प्रेगनेंसी में ब्लड प्रेशर बढ़ने से होने वाले जोखिम से बच सकते हैं।
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