हम अक्सर अपने स्वास्थ्य की कई छोटी-छोटी समस्याओं को अनदेखा कर देते हैं। ये स्वास्थ्य समस्याएं किसी बड़ी बीमारी के भी लक्षण हो सकते हैं। ऐसी ही एक स्वास्थ्य समस्या है डायबिटीज। लोगों में शुगर के लक्षण और इलाज से जुड़ी जागरूकता जरूरी है।
दरअसल, डायबिटीज के लक्षण और उपाय के बारे में जानकर इसे गंभीर होने से रोका जा सकता है। तो मधुमेह से बचाव के लिए यहां पढ़ें डायबिटीज के लक्षण और मैनेजमेंट से जुड़ी सारी जरूरी जानकारियां।
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डायबिटीज एक क्रोनिक यानी लंबे समय तक चलने वाली या कभी न ठीक होने वाली हेल्थ कंडीशन है। मधुमेह यानी डायबिटीज में आपके द्वारा सेवन किये गए खाद्य पदार्थों को ऊर्जा में परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। बता दें कि आपका शरीर आपके द्वारा लिए जाने वाले आहार को शुगर (ग्लूकोज) में तोड़ देता है और इसे आपके ब्लड स्ट्रीम में रिलीज़ कर देता है।
जब आपका ब्लड शुगर स्तर बढ़ता है, तो यह आपके पैंक्रियाज को इंसुलिन (पैंक्रियाज में बीटा सेल्स द्वारा बनने वाला हार्मोन है) रिलीज़ करने का संकेत देता है। इंसुलिन आपके शरीर की कोशिकाओं में ब्लड शुगर को पहुंचाने में अहम भूमिका निभाता है, जिससे कि शरीर शुगर को ऊर्जा के रूप में उपयोग कर सके।
वहीं, जब आपका शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता है या पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाता तो इससे आपके रक्तप्रवाह में ब्लड ग्लूकोज या शुगर का स्तर बढ़ जाता है। ऐसे में ज्यादा ब्लड शुगर के कारण डायबिटीज की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
बता दें डायबिटीज के तीन प्रकार हैं, टाइप 1, टाइप 2 और जेस्टेशनल। मधुमेह के लगभग 90-95% मामलें टाइप 2 डायबिटीज के होते हैं और 5-10% मामलें टाइप 1 डायबिटीज के होते हैं। ऐसे में यह माना जा सकता है कि टाइप 2 डायबिटीज सामान्य है और टाइप 1 दुर्लभ। वहीं, जेस्टेशनल डायबिटीज गर्भावस्था के दौरान बढ़े हुए शुगर स्तर के कारण होती है।
डायबिटीज के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। इसके कुछ लक्षणों के बारे में नीचे विस्तार से जानकारी दी गई है।
बता दें कि किडनी शरीर में मौजूद अत्यधिक शुगर को पेशाब के जरिए बाहर निकालने का काम करती है। ऐसे में जैसे-जैसे शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ता है तो किडनी खून से अधिक से अधिक शुगर को फ़िल्टर करने की कोशिश करती है। यही कारण है कि मधुमेह के मरीजों को बार-बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है। खासकर ऐसा रात में हो सकता है।
शुगर पेशेंट के लक्षण की बात की जाए तो ज्यादा प्यास व भूख लगना भी इसका एक लक्षण है। दरअसल, डायबिटीज में बार-बार पेशाब आने के कारण आपके शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिससे डिहाइड्रेशन हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप प्यास लग सकती है।
साथ ही टाइप 2 डायबिटीज में, आपका शरीर ग्लूकोज का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता है, जिससे कि ऊर्जा की कमी से भूख लग सकती है।
मधुमेह के लक्षण में धुंधला दिखना भी शामिल है। डायबिटीज में हाई ब्लड ग्लूकोज़ के कारण आंखों में फ्लूइड यानी तरल पदार्थ लीक हो सकता है, जिससे आंखों का लेंस प्रभावित हो सकता है। यही कारण है कि डायबिटीज के मरीजों को धीरे-धीरे धुंधला दिखाई दे सकता है। यह टाइप 2 डायबिटिक के शुरुआती लक्षणों में से एक है। ऐसा एक या दोनों आंखों में हो सकता है और डायबिटीज का पता न होने पर यह गंभीर हो सकता है।
अत्यधिक थकान होना भी शुगर के लक्षणों में से एक है। इस स्थिति के शुरुआती दिनों में आपके ब्लड शुगर लेवल्स में अचानक वृद्धि या कमी हो सकती है। इसका कारण यह है कि आपका शरीर खाद्य पदार्थों से ऊर्जा का उपयोग करने में असमर्थ होता है। वहीं, बार-बार पेशाब आने से डिहाइड्रेशन होता है। इससे आप जल्दी थक सकते हैं।
शुगर पेशेंट के लक्षण में अचानक होने वाले वजन परिवर्तन को भी गिना जाता है। मधुमेह में, वजन घटने और बढ़ने दोनों का जोखिम हो सकता है। वजन घटना मधुमेह के शुरूआती लक्षणों में से एक है। वहीं, जिन्हें मधुमेह हो चुका रहता है, उनमें वजन बढ़ने की समस्या देखी जाती है।
दरअसल, इंसुलिन की अपर्याप्त मात्रा ब्लड ग्लूकोज को ऊर्जा के रूप में सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता है। इसके परिणामस्वरूप, ऊर्जा के लिए आपका शरीर फैट और मसल बर्न करने या उपयोग करने लगता है, जिससे वजन में कमी हो सकती है। साथ ही बार-बार पेशाब आने से शुगर के साथ-साथ आपकी कैलोरीज़ भी कम हो सकती हैं।
वहीं, मधुमेह मरीजों में अत्यधिक भूख लगने के लक्षण देखे जा सकते हैं। ऐसे में अधिक खाना और थकावट के वजह से किसी तरह की शारीरिक गतिविधि न करना वजन बढ़ने का कारण बन सकता है।
डायबिटीज के कारण तनाव या अन्य मानसिक समस्याएं हो सकती हैं, जिससे कि डायबिटिक्स चिड़चिड़े हो सकते हैं। अपने अंदर होने वाले बदलाव व थकावट के कारण भी वे चिड़चिड़े हो सकते हैं।
घाव धीरे-धीरे भरना डायबिटीज के मुख्य लक्षणों में से एक लक्षण है। डायबिटीज के मरीजों की इम्यून पावर यानी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। दरअसल, ब्लड शुगर का बढ़ा हुआ स्तर सफेद रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है। बता दें स्वस्थ इम्यून पावर के लिए वाइट ब्लड सेल्स काफी महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में कमजोर प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण मधुमेह मरीजों में घाव या कट धीरे-धीरे भरता है।
डायबिटीज की स्थिति में स्किन इन्फेक्शन यानी त्वचा संक्रमण होने का जोखिम भी बढ़ जाता है। इसलिए यदि किसी की त्वचा में बार-बार संक्रमण हो रहे हैं, तो यह डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं।
डायबिटीज में मुंह सूखने लगता है, जिससे कि मुंह का इंफेक्शन होने का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में अगर आपके मुंहे में अगर बार-बार संक्रमण हो रहे हैं, तो ये शुगर के लक्षण हो सकते हैं।
डायबिटीज का एक लक्षण वजाइनल इन्फेक्शन भी हो सकता है। यह बार-बार पेशाब जाने के कारण हो सकता है। बता दें कि वजाइनल इंफेक्शन्स के लिए कैंडिडा फंगस जिम्मेदार होते हैं।
शुगर के लक्षण दिखाई देने पर डायबिटीज का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट कर सकते हैं। उन टेस्ट के बारे में नीचे विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई।
यह एक प्रकार का ब्लड टेस्ट होता है। इस टेस्ट से आपके पिछले 2 से 3 महीनों के औसत ब्लड शुगर लेवल्स का पता लगाया जा सकता है। ब्लड शुगर लेवल का 5.7% या उससे कम होना सामान्य माना जाता है और 6.5% या उससे अधिक होना डायबिटीज माना जाता है।
वहीं जिनका ब्लड शुगर लेवल 5.7% से 6.4% के बीच होता है, वे प्रीडायबिटिक होते हैं यानी उनमें डायबिटीज होने का जोखिम अधिक होता है।
यह टेस्ट किसी भी समय किया जा सकता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने खाना कितनी देर पहले खाया था। यदि आपका ब्लड शुगर लेवल 200 mg/dL है तो आपको डायबिटीज है।
इस टेस्ट को रात भर के फास्टिंग यानी उपवास के बाद आपके ब्लड शुगर लेवल्स को मापने के लिए किया जाता है। अगर आपका ब्लड शुगर लेवल 99 mg/dL है तो इसे सामान्य माना जाता है।
वहीं, यदि 100 से 125mg/dL के बीच है तो आप प्रीडायबिटिक हैं। अगर 126 mg/dL या इससे अधिक है, तो यह डायबिटीज को दर्शाता है।
इस टेस्ट को प्रीडायबिटिज़, टाइप 2 डायबिटीज और जेस्टेशनल डायबिटीज का पता लगाने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट को करने के लिए 8 घंटे या रात भर का उपवास आवश्यक है।
इसमें फास्टिंग के बाद का ब्लड सैंपल लिया जाता है। फिर व्यक्ति को ग्लूकोज़ ड्रिंक लेना पड़ता है। इसके बाद एक निश्चित समयांतराल, जैसे 1 घंटे, 2 घंटे और 3 घंटे में आपके ब्लड शुगर लेवल्स को चेक किया जाता है।
अगर ब्लड शुगर लेवल 140 mg/dL से कम है तो इसे सामान्य माना जाता है और 140 से 199 mg/dL के बीच है तो उसे प्रीडायबिटीज माना जाता है। वहीं अगर 200 mg/dL से अधिक है तो इसका मतलब है कि व्यक्ति शुगर पेशेंट है।
अगर किसी को डायबिटीज की समस्या है, तो वे डायबिटीज को मैनेज करने के लिए कुछ उपायों को अपना सकते हैं।
बता दें कि इन उपायों के साथ-साथ डायबिटीज के लक्षणों को कम करने के लिए नियमित दवाइयां व डॉक्टर कंसल्टेशन भी आवश्यक है। तो ये उपाय कुछ इस प्रकार हैं:
डायबिटीज की कुछ स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी होता है। उन स्थितियों के बारे में नीचे बताया गया है।
जैसे कि हमने पहले ही बताया है कि डायबिटीज एक क्रोनिक कंडीशन है। इसका अभी तक कोई इलाज नहीं है, लेकिन सही उपायों को अपनाकर शुगर पेशेंट के लक्षण को अच्छी तरह मैनेज किया जा सकता है। ऐसे में जिन्हें भी डायबिटीज है, वे घबराएं नहीं, बल्कि यहां बताई गई बातों का ध्यान रखें।
सही दिनचर्या अपनाएं, अपने खान-पान में बदलाव करें, ताकि डायबिटीज के लक्षणों को कम करने के लिए यह सहायक साबित हो। आप डायबिटीज को मैनेज करने के लिए Phablecare ऐप की भी मदद ले सकते हैं।
पूर्व मधुमेह को आसानी से मैनेज किया जा सकता है। इसके लिए सही उपायों को अपनाने की जरूरत होती है। यहां जानें प्रीडायबिटीज से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां।
और पढ़ेंशुगर से होने वाले रोग को दूर रखने के लिए सही जानकारी होना जरूरी है, जो आपको यहां मिल जाएगी। इस लेख में शुगर से होने वाली परेशानी व उसे दूर रखने के उपाय बताए गए हैं।
और पढ़ेंडायबिटीज में दर्द महसूस होने पर इसका कारण जानना चाहते हैं, तो इस लेख को जरूर पढ़ें। यहां डायबिटीज में दर्द के बारे में खास जानकारी दी गई है।
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